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उत्तराखंड

आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम को कालाकाँकर राजवंश की राजकुमारी रत्ना सिंह का मिला सहयोग –

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प्रतापगढ़ |

प्रताप किरण फाउंडेशन टीम के द्वारा जनपद प्रतापगढ़ में छात्र/छात्राओं के जागरूकता जनपद के गौरवशाली इतिहास से आज की युवा पीढी़ परिचित हो सके इसको देखते हुए विद्यालय स्तरीय निबंध लेखन व चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है जिसमें सभी विद्यालयों का सहयोग प्राप्त हो रहा है |

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प्रताप किरण फाउंडेशन का मानना है कि जब भी हम देश की आजादी में प्रतापगढ़ के योगदान की बात करते हैं तो सबसे पहला नाम बडे़ ही गर्व के साथ कालाकाँकर के बिसेन राजवंश का लिया जाता है | जिसको देखते हुए कार्यक्रम संयोजक पंकज त्रिपाठी ने कालाकाँकर की राजकुमारी पूर्व सांसद रत्ना सिंह से मिलने का समय व सहयोग मांगा जिसके तहत राजकुमारी रत्ना सिंह ने अपने स्वभाव के तहत हर संभव सहयोग की बात करते हुए मुख्य कार्यक्रम कालाकाँकर राजवंश के प्रांगण में करने का सुझाव दिया जिसे प्रताप किरण टीम ने स्वीकार कर लिया | इसके साथ ही राजकुमारी रत्ना सिंह ने कालाकाँकर फाउंडेशन को भी इस आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम में सहयोगी संस्था के रूप में शामिल करने की बात कही गयी है |

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प्रताप किरण टीम से विशेषवार्ता में राजकुमारी रत्ना सिंह ने बताया कि पंडित मदनमोहन मालवीय, महात्मा गांधी , सरदार बल्लभ भाई पटेल, गोविन्द वल्लभ पंत, गणेश शंकर विद्यार्थी , प्रताप नरायण मिश्र, सुमित्रा नंदन पंत जैसे राष्ट्रीय विभूतियों कि कर्म स्थली यह रियासत रही है | इसके साथ ही हजारों लोगों ने देश की आजादी में अपना बलिदान दिया है |
राजा हनुमत सिंह ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अपने पुत्र राजा लाल प्रताप सिंह की आहुति दी | राजा रामपाल सिंह, राजा रमेश सिंह, राजा अवधेश सिंह, राजा दिनेश सिंह विदेश मंत्री रहे ग्राम पंचायत के वर्तमान स्वरूप के जन्मदाता राउंड टेबल के संपादक रहे | राजा दिनेश सिंह 6 बार लोकसभा व 3 बार राज्य सभा के सदस्य रहे | प्रतापगढ़ के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है | इसके बाद राजकुमारी रत्ना सिंह ने गौरवशाली परम्परा को आगे बढा़ रही हैं तीन बार प्रतापगढ़ संसदीय क्षेत्र से सांसद रही हैं जनपद में कृषि विज्ञान केंद्र की स्थापना आपने किया जिससे लाखों किसान लाभांवित हो रहे हैं राजकुमारी रत्ना सिंह लगातार समाजसेवा में सक्रीय हैं |
प्रसिद्ध कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ने कालाकाँकर राजवंश के लिए लिखा है –

तुमने दिया देश को जीवन
देश तुम्हें क्या देगा,
अपना नाम अमर करने को,
नाम तुम्हारा लेगा |

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